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100 साल की बाढ़ के पिछले सभी रिकार्ड बहा ले गया इस बार का सैलाब

  • गांवों में फंसे लोग, राहत व बचाव कार्य जारी, फोर्स तैनात
  • फसलों के साथ डेयरी व फिश फार्मिंग को भारी नुकसान
  • पानी में बह कर आ रहे वन्यजीव, स्थानीय बाशिंदे बने मसीहा
  • शहर की सीमा में पानी घुसने से शहरवासियों में भी छाया खौफ

चाँद खाँ, ब्यूरो चीफ, रामपुर/रुद्रपुर। उत्तराखण्ड से भारी मात्रा में छोड़े गए पानी से बाढ़ में परिवर्तित हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारी नुकसान का अनुमान है। बाढ़ का तांडव बुधवार को शबाब पर दिखाई दिया। मंगलवार की शाम के बाद अचानक हालात नाजुक हो गये। उत्तराखण्ड से भारी मात्रा में छोड़े गए पानी से पूरे पूरे इलाके जलमग्न हो गए हैं। कहा जा रहा है बाढ़ ने पिछले 100 सालों के रिकार्ड तोड़ दिये हैं। लोगों में दहशत है और गांवों में फंसे लोग घरों की छतों पर रहने को मजबूर हैं। प्रशासन का दावा है कि जिले में राहत एवं बचाव को हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग शिकायतें भी कर रहे हैं। मुरादाबाद एवं नैनीताल हाईवे जलमग्न है। किसानों की फसलों के साथ डेयरी उद्योग एवं फिश फार्मिंग के कारोबारियों को जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ रहा है। पानी इंसानों के साथ साथ जंगली जानवरों के लिए मुसीबत बना हुआ है। वन्यजीव पानी में बहकर आ रहे हैं। स्थानीय बाशिंदे के वन्यजीवों को बचाने के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। डेयरी फार्मो पर दर्जनों पालतू मवेशियों के मारे जाने की खबर है। नुकसान से डेयरी फार्म संचालकों को गहरा सदमा पहुंचा है। कुछ ऐसा ही हाल मछली पालकों का भी है। शहर की ओर हो रहे पानी के रूख से शहरवासियों में भी अफरातफरी मची हुई है। ऐतिहासिक गांधी समाधि के पास पानी जम गया है और गांधी समाधि से हाईवे को जाने वाला बाईपास कटान की जद में आ गया है।

ऐतिहासिक लालपुर डाम बताता है बाढ़ की विभीषिका
टांडा क्षेत्र के लालपुर गांव में स्टेट पीरियड में बनवाया गया लालपुर डाम बाढ़ की विभीषिका का पता देता है। जब-जब बाढ़ आती है तब यहां पानी के स्तर के हिसाब से निशान लगा दिये जाते हैं। डाम पर तैनात कर्मचारी राम सहाय ने बताया कि रामपुर में वर्ष 2010 में आई बाढ़ में पानी का स्तर 16 फीट तक पहुंच गया था। यह उस समय तक सर्वाधिक था। इससे पहले 1924, 1947, 1951 व 1954 में भी बाढ़ आई थी लेकिन 2010 में आई बाढ़ ने पिछले सारे रिकार्ड तोड़ दिये थे। लेकिन 2021 की इस बाढ़ ने 2010 में आई बाढ़ के रिकार्ड को भी तोड़ दिया है। इस बार डाम पर जलस्तर पर 16.5 फीट तक दर्ज किया गया है। इस गणना के अनुसार कहा जा रहा है कि इस बार की बाढ़ ने पिछले 100 साल का रिकार्ड तोड़ा है।

प्रशासन के दावों पर लग रहे सवालिया निशान
बाढ़ के कारण गांवों में फंसे लोगों को सकुशल निकालने के प्रयास लगातार जारी है। जिले में भर में जिन गांवों में ज्यादा पानी भर गया है वहां फोर्स तैनात है और लोगों को बाहर निकालने के लिए प्रयास कर रही है। प्रशासन का दावा है कि राहत एवं बचाव कार्य युद्वस्तर पर जारी हैं लेकिन फिर भी कुछ लोग मदद मिलने में देरी की शिकायत कर रहे हैं। गांधी समाधि के पास रहने वाली सुखदेई का कहना है कि वो बाढ़ में फंसने के बाद रात तकरीबन 4 बजे से अफसरों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन सुबह तक किसी का पता नहीं है। एक डेयरी संचालक ने भी कुछ ऐसी ही शिकायत की। उनका कहना है कि राहत एवं बचाव के लिए जारी नंबर पर संपर्क करने पर उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। जानवरों को निकालने के लिए उन्होंने खुद ही इंतेजाम किया है।

डेयरी व फिश फार्म संचालक गहरे सदमे में
शहर से सटे हजरतपुर व आसपास के देहातों में डेयरी उद्योग से जुड़े लोगों को भी तगड़ा नुकसान हुआ है। पानी के कारण उनके मवेशी डूब कर मर गए हैं। शहर के मौहल्ला चिरान के रहने वाले इरशाद खां उर्फ शददू खां शहर के हाशिये पर बसे हजरतपुर में डेयरी फार्म का संचालन करते हैं। डेयरी में तकरीबन 40 गाय व भैंसे पलती हैं। उन्होंने बताया कि पानी के कारण उनकी 15 गाय व भैंसे मर गई हैं। बाकी में से कुछ को निकाल लिया गया है जबकि कुछ फार्म में ही फंसी है। इसी तरह बाढ़ के कारण मछली पालकों को भी खासे नुकसान का सामना करना पड़ा है। पालन की मछली बाढ़ के पानी की भेंट चढ़ गई है।

वन्यजीवों के लिए मसीहा बने स्थानीय बाशिंदे
जंगलों को पूरी तरह से अपनी चपेट में ले चुके बाढ़ के पानी के कारण वन्यजीवों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है। हिरन, मोर व अन्य वन्यजीव पानी में बहकर आ रहे हैं। स्थानीय लोग इन वन्यजीवों के लिए मसीहा बनकर सामने आ रहे हैं। स्वार तहसील के गांव मसवासी व दढ़ियाल में ग्रामीणों ने पानी में बहकर जा रहे एक मोर व हिरन की जान बचाई। ग्रामीणों का कहना है कि जो जानवर आसानी से बचाए जा सकते हैं और जिनपर उनकी नजर पड़ जाती है वो उन्हें बचाने की कोशिश करते हैं।

शहर में घुसा बाढ़ का पानी, मार्ग कटा, जांच की मांग
गांधी समाधि से हाईवे पर जाकर मिलने वाला बाईपास कटान की जद में आ गया है। गांधी समाधि के आसपास भी पानी जमा हो गया है। बींड वाली दरगाह व हजरतपुर आदि हाशिये की बस्तियों में बढ़ रहा पानी लोगों को दहशतजदा कर रहा है। बाढ़ का पानी शहर की सीमा में घुस आया है इसके बारे में लोगों का कहना है ऐसा पहली बार हुआ है। शहर के हाशिये पर बिना किसी परमीशन के मकानों के अंधाधुंध निर्माण व प्लाटिंग के कारण रियासतकालीन बंधे को नुकसान पहुंचने के कारण ऐसा होने की बात कही जा रही है। कांग्रेस नेता सिफत अली खान ने इसकी जांच की मांग की है।

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