- दोनों संस्थाएं पैगम्बर मुहम्मद (स0) के जन्मदिवस पर हर साल करतीं हैं आयोजन
- निशुल्क मेडिकल कैम्प से सर्वसमाज के हजारों लोग होते हैं लाभान्वित
- समाज के नवनिर्माण को ये संस्थाएं कांधे से कांधा मिलाकर करती हैं रचनात्मक कार्य
चाँद खाँ, ब्यूरो रामपुर। रामपुर को गंगा-जमुनी तहजीब का गहवारा और अमन, शांति व भाईचारे का प्रतीक यूं ही नहीं कहा जाता है बल्कि इसके पीछे कुछ किरदार हैं जो कि इस सरजमीन को रियासत की स्थापना से लेकर आज तक साप्रदायिक सौहार्द और आपसी भाईचारे का नमूना बनाए रखने के लिए लगातार संघर्षरत हैं। इंसानियत के ऐसे ही अलम्बरदारों के कारण रामपुर को राष्ट्रीय स्तर पर अमन-शांति और सामाजिक भाईचारे के लिए पहचाना जाता रहा है। प्रेम और सदभाव को यहां इस हद तक परवान चढ़ने का मौका मिला कि एक समय में यहां तक कहा जाने लगा था कि यहां ईद हिंन्दुओं की और होली मुसलमानों की होती है। रामपुर का दामन कभी ऐसे मानवतावादियों से खाली नहीं रहा। मौजूदा वक्त में इस साझा विरासत को धनन्जय पाठक (हिन्द भाईचारा समिति) और सै0 अब्दुल्ला तारिक (वर्क चेरिटिबल ट्रस्ट) जैसे लोग संभाले हुए हैं। 12 रबी उल अव्वल के अवसर पर हर साल मनाया जाने वाला करूणा दिवस (यौमे रहमत) इसकी एक मिसाल है। आईए जानते हैं करूणा दिवस और इसके आयोजन के उददेश्य।
12 रबी उल अव्वल (करूणा दिवस)
12 रबी उल अव्वल को ईश्वर के अंतिम महादूत के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। पवित्र कुरआन के अनुसार अंतिम संदेष्टा हजरत मुहम्मद (स0) को ईश्वर ने पूरी मानवता के लिए करूणा का पात्र बनाकर भेजा। आप किसी एक समुदाय, वर्ग या जाति विशेष के लिए नहीं अपितु पूरी इंसानियत के लिए रहमत बनाकर भेजे गए। आपने इस दुनियां में बसने वाले इंसानों को अवनति से उन्नति, अंधकार से प्रकाश और पशुता से मानवता का मार्ग दिखाया। समाज का कोई वर्ग कोई क्षेत्र ऐसा नहीं जिसके लिए आपकी कल्याणकारी शिक्षाएं मौजूद न हों। आपने लोगों को तोड़ने वालों से जोड़ने, जुल्म करने वालों को माफ करने और वंचित करने वालों को बांटने के सुनहरे उसूल सिखाये। ऊंच-नीच, जाति-पात की बेड़ियों को तोड़ते हुए बताया कि पूरी दुनियां में बसने वाले इंसान एक ही माता पिता की संतान हैं और आपस में भाई-भाई हैं। इंसान तो इंसान आपने जानवरों और पेड़ पौधों के अधिकार भी सुनिश्चित किये। बहरहाल 12 रबी उल अव्वल उस महान हस्ती की याद में मनाया जाता है जिसके बारे में जितना लिख दिया जाये वो कम है। आजतक शायद ही कोई कलम ऐसी गुजरी हो जिसके बारे में यह दावा किया जा सके कि उसने आपके व्यक्तित्व को पूर्णरूपेण परिभाषित किया है। यह अफसोस की बात है कि आज उस महान हस्ती को याद करने के लिए कुछ ऐसे तौर तरीके ईजाद कर लिये गए हैं जिनका उनकी शिक्षाओं से दूर-दूर का कोई वास्ता नहीं, लेकिन गत वर्षों से हिंद भाईचारा समिति और वर्क चेरिटिबल ट्रस्ट ने 12 रबी उल अव्वल को करूणा दिवस (यौमे रहमत) का आयोजन कर इसका सही उददेश्य लोगों के सामने लाने की कोशिश की है। दोनों संस्थाओं के इन प्रयासों से बड़ी संख्या में लोग उस परम कल्याणकारी हस्ती से रूबरू होते हैं। हजारों लोगों की निस्वार्थ मदद की जाती है और उन्हें कल्याण होने का मतलब समझाने का प्रयास किया जाता है। हिन्द भाईचारा समिति और वर्क चेरिटिबल ट्रस्ट का करूणा दिवस सिर्फ एक दिन कुछ लोगों की मदद करने तक सीमित नहीं बल्कि इसके पीछे प्रेम, बंधुत्व, त्याग, मानवता और बलिदान का वो संदेश है जिसकी आज सिसकती और कराहती मानवता को जरूरत है।
संस्थाएं ऐसे मनाती हैं करूणा दिवस
शुक्रवार को राष्ट्रीय कार्यालय बंगला आज़ाद खां स्थित शम्स नवेद हॉल पर वर्क के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद अब्दुल्लाह तारिक़ की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिये गए निर्णयानुसार इस साल भी यौमे पैदाइश मुहम्मद साहब पर 19 अक्टूबर मंगलवार को फ्री मैडिकल कैम्प सिमबोसिस स्कूल में आयोजित किया जाएगा। कैम्प में रामपुर के लगभग सभी एमबीबीएस, एमएस, एमडी डॉक्टरों सहित रामपुर के बीएएमएस एमडी चिकित्सक अपनी सेवायें प्रदान करेंगे। संस्थान द्वारा रोगियों को मुफ्त दवा भी उपलब्ध कराई जाएगी।इस दौरान सैयद अब्दुल्लाह तारिक़ ने कहा कि कहा मुहम्मद साहब दुनियां के लिए रहमत बनाकर भेजे गये थे। इसलिए हमें जिस दिन वो पैदा हुए उस दिन दुनियां मे इन्सान, जानवर व किसी भी जीव के साथ भलाई करना चाहिए। लोग वैसे भी कोई न कोई सेवा व भलाई का कार्य अन्य दिनों में करते हैं लेकिन मुहम्मद साहब के जन्म दिन पर ख़ासकर भलाई का काम ज़रूर करना चाहिये और आपके जन्म दिवस को करुणा दिवस के रूप में मनाकर लोगों की मदद कर उनकी शिक्षाओं को लोगों तक पहुंचाना चाहिये।