Breaking News
कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने केदारनाथ विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल के लिए माँगे वोट
कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने केदारनाथ विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल के लिए माँगे वोट
देहरादून में ट्रक और इनोवा कार की भीषण टक्कर में छह लोगों की मौके पर हुई मौत
देहरादून में ट्रक और इनोवा कार की भीषण टक्कर में छह लोगों की मौके पर हुई मौत
बदलते मौसम में अगर आपका भी गला बार-बार सूख रहा है, तो न करें नजरंदाज, हो सकती है ये बीमारियां
बदलते मौसम में अगर आपका भी गला बार-बार सूख रहा है, तो न करें नजरंदाज, हो सकती है ये बीमारियां
पीएम मोदी ने राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी के आवास में मनाई इगास 
पीएम मोदी ने राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी के आवास में मनाई इगास 
केदार सभा ने फिर जताया सीएम धामी का आभार
केदार सभा ने फिर जताया सीएम धामी का आभार
किसानों के लिए अधिक लाभदायक होगी
किसानों के लिए अधिक लाभदायक होगी
एयरलाइन विस्तारा का संचालन कल से हो जाएगा बंद, एयर इंडिया के साथ करेगी विलय 
एयरलाइन विस्तारा का संचालन कल से हो जाएगा बंद, एयर इंडिया के साथ करेगी विलय 
उत्तराखंड के दो शहरों में कूड़े से बनने लगी है बिजली
उत्तराखंड के दो शहरों में कूड़े से बनने लगी है बिजली
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024- सियासी हलचल तेज, भाजपा गठबंधन की जीत का अनुमान
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024- सियासी हलचल तेज, भाजपा गठबंधन की जीत का अनुमान

बुजुर्गों की सेहत और चुनौतियां, पारिवारिक और सामाजिक उपेक्षा बढ़ रहा संकट

बुजुर्गों की सेहत और चुनौतियां, पारिवारिक और सामाजिक उपेक्षा बढ़ रहा संकट

किरन सिंह

अगर बुजुर्गों की आबादी का एक बड़ा हिस्सा किन्हीं वजहों से अपना इलाज नहीं करा पाता, तो यह समाज और व्यवस्था की एक बड़ी नाकामी है। गौरतलब है कि एक गैरसरकारी संगठन के अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है कि शहरी इलाकों के लगभग पचास फीसद बुजुर्ग आर्थिक मुश्किलों और कई अन्य तरह की चुनौतियों के चलते जरूरत के वक्त चिकित्सकों के पास नहीं जा पाते हैं। ग्रामीण इलाकों में यह समस्या ज्यादा व्यापक है। वहां बुजुर्ग आबादी के बासठ फीसद से ज्यादा के सामने आर्थिक और अन्य बाधाएं खड़ी हैं, जिनके चलते उन्हें बीमारी में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

आमतौर पर साठ वर्ष की उम्र के बाद व्यक्ति को सेवानिवृत्ति की वजह से आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जबकि इसी उम्र में उन्हें सेहत संबंधी देखभाल की ज्यादा जरूरत पड़ती है। ऐसे में अगर स्वास्थ्य सुविधाएं सुलभ हों तो उनका जीवन कुछ आसान हो सकता है। मगर कई बार पारिवारिक उपेक्षा के शिकार बुजुर्गों को सरकार की ओर से भी सामाजिक सुरक्षा के रूप में कोई विशेष सुविधा नहीं मिल पाती है। वहीं देश के कई इलाकों में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव और आर्थिक स्थिति से जुड़ी समस्याएं जगजाहिर रही हैं।

यह कोई छिपा तथ्य नहीं है कि आज वृद्धावस्था में पेंशन या अन्य सामाजिक सुरक्षा के अभाव में दैनिक खर्च और स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च में भारी उछाल आया है। इसके अलावा, स्वास्थ्य बीमा के क्षेत्र में ज्यादा उम्र वालों के लिए अब तक जो शर्तें रही हैं, वे स्वास्थ्य सुविधाओं तक उनकी पहुंच को मुश्किल बनाती हैं। आए दिन ऐसी खबरें आती रहती हैं कि किसी वृद्ध व्यक्ति के बीमार पड़ने पर उचित इलाज न मिल पाने से उसकी जान चली गई।

यह ध्यान रखने की जरूरत है कि आमतौर पर हर बुजुर्ग अपने बाद की उस पीढ़ी को बेहतर जीवन देने के लिए अपनी जिंदगी झोंक देता है, जो अपने परिवार साथ-साथ समाज और देश के लिए एक उपयोगी संसाधन बनता है। सवाल है कि बुजुर्गों की अपनी संतानें और सत्ता-तंत्र उसके स्वास्थ्य और संतोषजनक जीवन के लिए उचित व्यवस्था करने के प्रति उदासीन क्यों रहता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top