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देहरादून। पिछले महीने उत्तराखंड विधानसभा में पारित विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरफ से मंजूरी दिए जाने के बाद उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) कानून बन गया है। यह कानून उत्तराखंड में विवाह, तलाक, संपत्ति की विरासत के लिए एक सामान्य कानून प्रस्तुत करता है।

राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही उत्तराखंड आजादी के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य बन गया। यह कानून राज्य के अंदर या बाहर रहने वाले निवासियों के लिए लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य बनाता है। लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चे वैध माने जाएंगे। इसके अलावा, अपने लिव-इन पार्टनर की तरफ से छोड़ी गई महिलाएं भरण-पोषण की हकदार होंगी।

यह कानून मुसलमानों के एक वर्ग में प्रचलित बहुविवाह और ‘हलाला’ पर भी प्रतिबंध लगाता है। हालांकि, यह कानून आदिवासियों पर उनकी परंपराओं, प्रथाओं और अनुष्ठानों के संरक्षण के लिए लागू नहीं होगा।

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